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Tuesday, December 9, 2025

पहचान बदलकर फरार रहा अमित खंपरिया: रिमांड में खुल रहे नए राज, जबलपुर–कटनी में करोड़ों की ठगी की जांच तेज

 

प्रथम टुडे जबलपुर। 

नागपुर के पास गिरफ्तार किए गए बहुचर्चित ठग अमित खंपरिया की कहानी अब और उलझती जा रही है। शुरुआती जांच में पता चला था कि उमरिया और सतना में केस दर्ज होने के बाद उसने जबलपुर आकर मामा का सरनेम अपनाया और अमित चतुर्वेदी से अमित खंपरिया बन गया। अब रिमांड के दौरान पुलिस पूछताछ में कई नए खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।

अब कोतवाली में भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज

खुलासा हुआ है कि अमित खंपरिया पर कोतवाली थाने में भी धोखाधड़ी का एक नया प्रकरण दर्ज किया गया है।
आरोप है कि उसने दीक्षितपुर निवासी मिश्रा परिवार के साथ आर्थिक ठगी की थी। जानकारी यह भी सामने आई कि विवाद के दौरान उसने विधु मिश्रा के साथ उनके पत्नी और बच्चों के सामने मारपीट की थी।

हालाँकि पुलिस अभी केवल जांच में सामने आने वाले तथ्यों के आधार पर प्रकरण दर्ज कर रही है। आगे और पीड़ित सामने आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा।

कटनी–सलीमनाबाद में 6 करोड़ का और मामला—जांच शुरू

सूत्रों के अनुसार, पुलिस को रिमांड में एक और बड़ा सुराग मिला है।
खंपरिया द्वारा कटनी के सलीमनाबाद क्षेत्र में करीब 6 करोड़ रुपए की एक बड़ी आर्थिक हेराफेरी करने की बात सामने आई है। पुलिस इस पूरे प्रकरण की अलग से जांच कर रही है। कई लोगों से पूछताछ की तैयारी भी की जा रही है।

पहले भी बदला था नाम, कैसे बनी नई पहचान

उमरिया और सतना के आपराधिक मामलों से बचने के लिए आरोपी जबलपुर आया और अपना नाम बदलकर मामा का सरनेम अपनाया।
जबलपुर में उसने—

  • वोटर आईडी
  • आधार
  • पैन कार्ड

सभी दस्तावेज़ नए नाम अमित खंपरिया से बनवा लिए। स्थानीय लोग भी उसे इसी नाम से पहचानने लगे।

जबकि असल में उसका नाम था अमित चतुर्वेदी पिता अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी

2010–11 में मंडला के टोल ठेके में बड़े पैमाने पर वसूली

मामा प्रकाश खंपरिया के साथ रहते हुए उसने मंडला जिले के खटिया थाना क्षेत्र में कन्हार नदी पर बने टोल का ठेका लिया था।
यह मार्ग कान्हा नेशनल पार्क से जुड़ता है, जहाँ पर्यटकों की बड़ी संख्या रहती है।
आरोप है कि अमित और उसके गुर्गे पर्यटकों से तय दर से 3–4 गुना अधिक टोल वसूली कर रहे थे।

पिता, मौसा सहित कई लोग आरोपी

मंडला के खटिया थाने में 31 मई और 7 जून 2011 को दर्ज शिकायतों में पुलिस ने उसे और उसके साथ—

  • पिता अनिरुद्ध प्रसाद
  • मौसा रामजी द्विवेदी
  • दशरथ तिवारी
  • गौरव माली
  • अनूप उर्फ अरुण जयसवाल
  • उमेश पांडे
  • मोनू दुबे

को आरोपी बनाया था।

चुनाव में भी उतरा—2018 में विधानसभा प्रत्याशी

टोल से कथित तौर पर करोड़ों की कमाई के बाद उसने राजनीति में कदम रखा।
2018 में जबलपुर की उत्तर-मध्य विधानसभा सीट से सर्व समाज कल्याण पार्टी के टिकट पर नामांकन भरा, बाद में भाजपा को समर्थन दिया।
हालाँकि चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं गया।

गिरफ्तारी और जमानत के बाद फरारी

24 फरवरी 2022 को मंडला पुलिस ने उसे कटनी–उमरिया मार्ग से गिरफ्तार किया था।
अस्पताल में भर्ती होने के दौरान उसने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन किया और मार्च 2022 के पहले सप्ताह में उसे जमानत मिल गई।
इसके बाद से वह फिर से फरार हो गया था, जब तक कि हाल ही में नागपुर के पास पकड़ा नहीं गया।

अब पुलिस की नज़र रिमांड पर—और खुलासे संभव

सूत्रों का कहना है कि रिमांड में अभी और आर्थिक, संपत्ति और फर्जी दस्तावेज़ों से जुड़े राज खुलने की उम्मीद है।
पुलिस टीम उमरिया, सतना, मंडला, कटनी और जबलपुर के पुराने रिकॉर्ड को जोड़कर पूरे नेटवर्क की जांच कर रही है।


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