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Friday, December 12, 2025

गोवा नाइट क्लब अग्निकांड के बाद जबलपुर में पब–होटलों की सुरक्षा पर सवाल

 


जांच कुछ दिन चलती है, फिर ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है**

प्रथम टुडे 

जबलपुर। गोवा के नाइट क्लब में हुए भीषण अग्निकांड के बाद देशभर में पब, रेस्टोरेंट और होटलों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे हैं। इसी कड़ी में जबलपुर शहर के कई पब, बार, होटल और रेस्टोरेंट की सुरक्षा स्थिति को लेकर भी गंभीर चिंताएँ सामने आई हैं। शहरवासियों का कहना है कि हर बड़े हादसे के बाद प्रशासन सक्रिय तो होता है, लेकिन कुछ दिन की जांच-पड़ताल के बाद कार्रवाई धीमी पड़ जाती है और हालात फिर पुराने ढर्रे पर लौट आते हैं।

पहले भी अस्पतालों में लगी आग—पर जांच आगे नहीं बढ़ सकी

शहर में इससे पहले भी कई आगजनी की घटनाएँ हो चुकी हैं।

  • चंडाल भाटा के एक अस्पताल में आग लगने से कई लोग झुलस गए थे।
  • इसी वर्ष गर्मियों में दीनदयाल चौक स्थित एक अस्पताल में आग लगने की घटना ने भी बड़ा सवाल खड़ा किया था।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इन घटनाओं के बाद कुछ दिनों तक निरीक्षण किए गए, लेकिन न तो सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू किया गया और न ही जिम्मेदार संस्थाओं पर ठोस कार्रवाई हो सकी।

कटंगा, नेपियर टाउन और विजयनगर क्षेत्र में कई पब—सुरक्षा व्यवस्थाएँ स्पष्ट नहीं

शहर के प्रमुख क्षेत्रों—कटंगा, नेपियर टाउन, विजयनगर—में संचालित कई पब और रेस्टोरेंट के बारे में बताया जा रहा है कि वहां

  • आग बुझाने की पर्याप्त व्यवस्था,
  • इमरजेंसी एग्जिट,
  • फायर एक्सटिंग्विशर का रख-रखाव,
  • फायर NOC की वैधता

जैसे अनिवार्य सुरक्षा मानकों की जांच लंबे समय से नहीं की गई है।

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि नगर निगम और अन्य जिम्मेदार विभागों द्वारा इन स्थानों का कोई हालिया निरीक्षण नहीं किया गया है।

आवासीय क्षेत्रों में चल रहे होटल भी जांच के दायरे से बाहर

सबसे गंभीर सवाल आवासीय क्षेत्रों में खुले होटलों को लेकर उठ रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर, यादव कॉलोनी स्थित एक होटल को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं कि

  • चार मंज़िल से अधिक ऊँचाई वाली इमारत
  • संकरी रोड (जहां नियम अनुसार 10 फीट चौड़ी सड़क की अनिवार्यता है)
  • फिर भी कई मंजिलों वाले होटल को अनुमति कैसे मिली?

बताया जा रहा है कि यह होटल 5 से 6 मंजिल तक बनाया गया, जबकि क्षेत्र की सड़क और सुरक्षा मानक ऐसी इमारतों की अनुमति देने योग्य नहीं माने जाते।
स्थानीय लोग इसे “प्रशासनिक उदासीनता” और “प्रभावशाली लोगों के दबाव” का परिणाम बताते हैं।
हालांकि इस संबंध में प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान उपलब्ध नहीं है।

रेस्टोरेंट, बार और शाखाएँ—नियमों की अनदेखी का आरोप

सूत्र बताते हैं कि शहर के कई आवासीय क्षेत्रों में होटल, बार और रेस्टोरेंट चल रहे हैं, जहाँ

  • किचन सुरक्षा,
  • गैस सिलेंडर स्टोरेज,
  • फायर अलार्म सिस्टम,
  • आपातकालीन निकासी मार्ग (Emergency Exit)

जैसी आवश्यक सुरक्षा सुविधाओं का उचित पालन नहीं दिखता।
इसके बावजूद इन स्थानों की आज तक कोई व्यापक जांच नहीं की गई।

शहरवासियों की मांग—सभी पब, होटल और रेस्टोरेंट का एक साथ फायर ऑडिट किया जाए

गोवा अग्निकांड के बाद जबलपुर में भी नागरिकों की मांग है कि

  • सभी पब
  • होटल
  • रेस्टोरेंट
  • बार
  • आवासीय क्षेत्रों में चल रहे व्यावसायिक प्रतिष्ठान

का फायर सेफ्टी ऑडिट तत्काल किया जाए, और
जिनके पास वैध फायर NOC व सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।


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