हरियाणा तक फैला था नेटवर्क, एक महिला सहित 5 आरोपी गिरफ्तार
राजनीतिक रसूख के सहारे चल रहा था अवैध कारोबार!
प्रथम टुडे
ग्वालियर।।मध्य प्रदेश आबकारी विभाग ने घाटीगांव क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक को अंजाम देते हुए हाइवे किनारे स्थित एक दो मंजिला फार्म हाउस में चल रही नकली देशी-विदेशी शराब की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। संयुक्त आबकारी टीम की इस कार्रवाई में करीब 4 करोड़ रुपए की नकली शराब और लगभग 1 करोड़ रुपए की मशीनरी व कच्चा माल जब्त किया गया है।
कार्रवाई के दौरान एक महिला सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें हरियाणा और मध्य प्रदेश के तस्कर शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यहां तैयार की जा रही शराब की सप्लाई हरियाणा सहित अन्य राज्यों में की जा रही थी।
25 हजार लीटर कच्ची शराब, ब्रांडेड लेबल और मशीनें जब्त
आबकारी विभाग के अनुसार फैक्ट्री से
- 25,000 लीटर कच्ची शराब
- 429 पेटियां रेडी ब्रांड शराब
- 7 लाख रुपए नकद
- बोतलें, ढक्कन, लेबल, फिलिंग व सीलिंग मशीनें
- उत्तर प्रदेश नंबर की लोडिंग गाड़ी
जब्त की गई है।
अधिकारियों का कहना है कि इस मात्रा से करीब 5,500 पेटियां शराब तैयार की जा सकती थीं। जब्त माल की कीमत 6 से 7 करोड़ रुपए तक आंकी जा रही है।
किराए के नाम पर चला अवैध धंधा
जिस फार्म हाउस में यह फैक्ट्री संचालित हो रही थी, वह सुरेंद्र तोमर का बताया जा रहा है, जो पूर्व में कांग्रेस से जुड़े रहे हैं और बाद में बसपा से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। फिलहाल वह स्वयं को भाजपा नेता बताते हैं।
आबकारी विभाग के अनुसार, फार्म हाउस किराए पर दिया गया था, और अवैध गतिविधियां किराएदारों द्वारा संचालित की जा रही थीं। मामले में मकान मालिक की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
राजनीतिक रसूख दिखाकर फैलाया नेटवर्क?
सूत्रों के मुताबिक, आरोपी सोशल मीडिया पर राजनीतिक नेताओं के साथ तस्वीरें साझा कर अपना रसूख दिखाते थे। फैक्ट्री की दीवारों पर भी बड़े नेताओं के फोटो लगे मिले हैं। जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इस अवैध कारोबार को किसी स्तर पर राजनीतिक संरक्षण मिला था या इसका इस्तेमाल सिर्फ दबदबा बनाने के लिए किया जा रहा था।
पकड़े गए आरोपी
एएसपी जयराज कुबेर के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों में –
- सुनीता जाट (नजफगढ़)
- मोहित उर्फ मोनू तोमर (अंबाह)
- सुमित जाट
- प्रीतम जाट
- दीपक जाट (जींद, हरियाणा)
शामिल हैं। सभी के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर पूछताछ जारी है।
पूरे नेटवर्क की परतें खुलेंगी
आबकारी अधिकारियों का कहना है कि यह फैक्ट्री लंबे समय से सक्रिय थी और नकली ब्रांडेड शराब को असली बताकर बाजार में खपाया जा रहा था। पूछताछ में अन्य राज्यों से जुड़े लिंक, सप्लाई चैन और फंडिंग से जुड़े बड़े खुलासे होने की संभावना है।
प्रश्न जो प्रशासन से पूछे जाने चाहिए
- इतनी बड़ी फैक्ट्री इतने दिनों तक कैसे चलती रही?
- स्थानीय स्तर पर निगरानी में चूक किसकी थी?
- क्या यह नेटवर्क अन्य जिलों में भी फैला है?
- राजनीतिक तस्वीरें सिर्फ दिखावा थीं या संरक्षण?
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