प्रथम टुडे जबलपुर।
संस्कारधानी जबलपुर के ग्राम पाटन में रहने वाले ‘रावण भक्त’ मुन्ना नामदेव उर्फ लंकेश का शनिवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। बताया जा रहा है कि रावण दहन के तीन दिन बाद वे अपने गांव में रावण प्रतिमा के विसर्जन की तैयारी कर रहे थे, तभी अचानक तबीयत बिगड़ी और हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई।
मुन्ना लंकेश के निधन की खबर फैलते ही पूरे पाटन क्षेत्र में शोक की लहर छा गई। वे न सिर्फ रावण की भक्ति के लिए बल्कि अपने अनोखे जीवन दर्शन और सामाजिक कार्यों के लिए भी जाने जाते थे।
रावण के नाम पर रखा परिवार का नाम
मुन्ना नामदेव ने वर्षों पहले खुद को लंकेश नाम से पहचान दिलाई थी। उन्होंने अपने बच्चों के नाम भी रावण के पुत्रों के नाम पर रखे थे। वे कहा करते थे —
“रावण विद्वान था, शिव भक्त था और मर्यादा की अपनी परिभाषा रखता था।”
हालांकि वे भगवान राम के भी पूजक थे। उनका मानना था कि रावण और राम दोनों ही चरित्र और धर्म के प्रतीक हैं, बस दृष्टिकोण अलग-अलग हैं।
हर साल करते थे रावण की पूजा
पाटन के लोग बताते हैं कि मुन्ना लंकेश हर साल दशहरे के नौ दिन पहले रावण की प्रतिमा स्थापित करते थे। प्रतिमा के सामने वे भगवान शिव का शिवलिंग भी रखते और पूरे भक्ति भाव से पूजन करते।
जहां नवरात्रि के अंतिम दिन लोग देवी प्रतिमा का विसर्जन करते हैं, वहीं मुन्ना लंकेश रावण प्रतिमा का विसर्जन करते थे।
देहदान कर दी अंतिम भेंट
मुन्ना लंकेश ने जीवनकाल में ही अपना शरीर मेडिकल कॉलेज को देहदान करने का संकल्प लिया था। उनके निधन के बाद रविवार को उनका पार्थिव शरीर जबलपुर मेडिकल कॉलेज को सौंपा जाएगा।
उनके इस निर्णय की लोग सराहना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने जीवन में भी अपनी सोच से समाज को संदेश दिया और मृत्यु के बाद भी मानवता की मिसाल पेश की।
स्थानीय लोगों की श्रद्धांजलि
पाटन के निवासियों ने बताया कि मुन्ना लंकेश का स्वभाव मिलनसार था। वे हर धार्मिक आयोजन में शामिल होते और अपने विचारों से लोगों को सोचने पर मजबूर कर देते थे।
एक ग्रामीण ने कहा –
“वो कहते थे कि रावण को केवल बुरा कहना उसके ज्ञान और भक्ति का अपमान है। उन्होंने हमें सिखाया कि अच्छाई-बुराई को केवल एक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।”

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