प्रथम टुडे जबलपुर।
गरीबों के हिस्से का अनाज हड़पने का बड़ा घोटाला शहर में उजागर हुआ है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत मिलने वाला गेहूं, चावल, नमक और शक्कर तक मिलकर हड़प लिया गया। इस पूरे मामले में सिर्फ राशन दुकानदार ही नहीं बल्कि जिम्मेदार सरकारी अफसर भी आरोपों के घेरे में आ गए हैं।
2.20 करोड़ रुपये के राशन में हेराफेरी
जांच में सामने आया है कि जबलपुर नगर निगम क्षेत्र की 11 राशन दुकानों में करोड़ों रुपये के खाद्यान्न की गड़बड़ी की गई।
391.780 मीट्रिक टन गेहूं
38.789 मीट्रिक टन चावल
3.027 मीट्रिक टन नमक
0.97 मीट्रिक टन शक्कर
इन सभी का पोर्टल पर स्टॉक एडजस्टमेंट दिखाकर करोड़ों का अनाज बाजार में खपा दिया गया। अनुमानित कीमत करीब 2.20 करोड़ रुपये आंकी गई है। यानी वह राशन, जो गरीब परिवारों की रसोई तक पहुँचना चाहिए था, अवैध तरीके से बिककर मुनाफा कमाने का जरिया बन गया।
जांच में अधिकारियों की भूमिका उजागर
इस मामले की जांच रिपोर्ट ने प्रशासनिक लापरवाही और संलिप्तता दोनों को बेनकाब किया है।
घटना के दौरान जिम्मेदारी इन अधिकारियों पर थी:
जिला आपूर्ति नियंत्रक नुजहत बानो बकाई
जूनियर सप्लाई ऑफिसर भावना तिवारी
सुचित्रा दुबे
डीपीएमयू अधिकारी अक्षय कुमार खरें
इन्हीं अधिकारियों के पास पोर्टल की एक्सेस थी। आरोप है कि उन्हीं की मौजूदगी और मिलीभगत से राशन दुकानदारों ने गरीबों का हक कागजों से गायब कर दिया। जांच रिपोर्ट ने साफ किया है कि बिना अधिकारियों की संलिप्तता इतना बड़ा घोटाला संभव ही नहीं था।
33 आरोपियों पर क्राइम ब्रांच ने दर्ज की FIR
क्राइम ब्रांच ने इस पूरे मामले में कार्रवाई करते हुए 33 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की प्रासंगिक धाराओं के साथ-साथ मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2015 और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत अपराध दर्ज हुआ है।
पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि आगे की जांच में और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
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