मुस्लिम संगठनों ने लगाया इस्लाम विरोधी दुष्प्रचार का आरोप, याचिका में फिल्म पर रोक की मांग
11 जुलाई को 4000 से ज्यादा स्क्रीनों पर रिलीज की तैयारी
धार्मिक और राजनीतिक गलियारों में गूंज उठा समर्थन और विरोध
प्रथम टुडे rastriy/
राजस्थान के चर्चित दरजी कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर देशभर में विवाद गहराता जा रहा है। मुस्लिम संगठनों ने फिल्म को इस्लाम और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार करार देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इसकी रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है। फिल्म 11 जुलाई को देशभर के 4000 से अधिक सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है।
फिल्म में क्या है मामला?
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ वर्ष 2022 में उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की दिनदहाड़े हत्या की पृष्ठभूमि पर आधारित है। आरोप है कि उन्होंने नुपूर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया स्टेटस डाला था, जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी। फिल्म में नुपूर शर्मा के बयान, ज्ञानवापी विवाद जैसे कई संवेदनशील धार्मिक विषयों को भी दिखाया गया है।
क्या कह रहे हैं विरोधी संगठन?
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म सांप्रदायिक तनाव को भड़का सकती है और इसका उद्देश्य एक समुदाय को टारगेट करना है।
ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के यूथ विंग के समन्वयक मौलाना अब्दुल आमिर ने फिल्म को “नफरत फैलाने वाला एक और एपिसोड” बताते हुए कहा कि यह ‘कश्मीर फाइल्स’ और ‘केरल स्टोरी’ जैसी फिल्मों की कड़ी है जो इस्लाम और मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने के लिए बनाई जाती हैं।
दारुल उलूम देवबंद को भी जोड़े जाने पर आपत्ति
मौलाना मोहम्मद आमिर ने यह भी आरोप लगाया कि फिल्म में विश्वविख्यात इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद को ‘कट्टरता’ से जोड़ने की कोशिश की गई है, जो पूरी तरह भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण है। साथ ही दावा किया कि फिल्म में पैगंबर मोहम्मद को लेकर भी आपत्तिजनक संकेत दिए गए हैं, जिससे लाखों लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।
फिल्म को मिल रहा है राजनीतिक समर्थन भी
फिल्म के निर्देशक अमित जैन और कन्हैयालाल के परिजनों ने हाल ही में पटना में आयोजित सनातन महाकुंभ में भाग लिया था, जहां उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री से आशीर्वाद लेकर फिल्म को धर्म-संस्कृति से जोड़ने का संदेश दिया। इससे स्पष्ट है कि फिल्म को धार्मिक ही नहीं, राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है।
अदालत क्या कहेगी, नजरें टिकीं
अब सबकी निगाहें दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर टिकी हैं, जो तय करेगा कि ‘उदयपुर फाइल्स’ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है या फिर एकतरफा कथा के जरिए समाज में विष घोलने की कोशिश।

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