हाईकोर्ट का अल्टीमेटम: ट्रांसपोर्ट नगर से 18 जुलाई तक हटाएं अवैध कब्जे, कलेक्टर को दी चेतावनी
प्रथम टुडे जबलपुर।
हाईकोर्ट ने ट्रांसपोर्ट नगर के अतिक्रमण के मामले में जबलपुर प्रशासन को सख्त चेतावनी दी है। कोर्ट ने साफ किया है कि सिविल कोर्ट में लंबित मामलों को छोड़कर बाकी सभी अवैध अतिक्रमणों को 18 जुलाई 2025 तक हर हाल में हटाया जाए। निर्धारित समयसीमा में कार्रवाई नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के न्यायमूर्ति श्रीधरन ने सुनवाई के दौरान प्रशासन की लापरवाही पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह मामला सालों से लंबित है, लेकिन अब और बहाने नहीं चलेंगे। कोर्ट ने प्रशासनिक सुस्ती पर तीखी टिप्पणी करते हुए आदेश दिया कि तय समय-सीमा के भीतर कार्यवाही न होने पर कलेक्टर को स्वयं उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा।
सिर्फ 10 दिन की मोहलत, कलेक्टर का वादा खारिज
सुनवाई के दौरान कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि 15 दिन के भीतर अतिक्रमण हटा लिए जाएंगे, लेकिन कोर्ट ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि अब सिर्फ 10 दिन का समय दिया जा रहा है। आदेश का पालन नहीं करने पर जवाबदेही तय की जाएगी।
कलेक्टर की वेशभूषा पर भी नाराज़गी
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कलेक्टर की वेशभूषा को लेकर भी टिप्पणी की। जस्टिस श्रीधरन ने कहा कि राज्य के प्रतिनिधि जब न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होते हैं तो उन्हें औपचारिक एवं गरिमापूर्ण ड्रेस कोड जैसे कोट या टाई पहनकर आना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगली पेशी में यह लापरवाही न दोहराई जाए।
2020 में भी दिए गए थे निर्देश,अब सख्त रुखयह मामला नया नहीं है। वर्ष 2020 में भी तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने कलेक्टर को ट्रांसपोर्ट नगर (चंडालभाटा) में अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। उस समय भी कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि राजस्व अमला अतिक्रमण हटाने में असमर्थ हो, तो पुलिस बल की मांग की जाए और पुलिस अधीक्षक आवश्यक बल मुहैया कराएं। कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया था कि अतिक्रमण हटाने से पहले संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर अवश्य दिया जाए और यदि कोई असंतुष्ट हो तो वह विधिक प्रक्रिया के माध्यम से न्यायालय की शरण में जा सकता है।
क्या है मामला
यह याचिका ट्रांसपोर्ट नगर व्यापारी संघ के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ‘बबलू’ द्वारा दायर की गई थी। याचिका में बताया गया कि वर्ष 1992 में नगर निगम जबलपुर ने ग्राम माढ़ोताल के खसरा नंबर 153 और 154 की कुल 38 एकड़ भूमि पर ट्रांसपोर्ट नगर बसाया था। इसमें कुल 872 भूखंड परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों को आवंटित किए गए।
समय के साथ इनमें से 20 से अधिक भूखंडों पर अवैध कब्जे कर लिए गए। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि इस संबंध में कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को कई बार ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। हर बार पुलिस बल की कमी का बहाना बनाकर कार्रवाई टाल दी गई।
कोर्ट ने कहा – अब कोई बहाना नहीं
कोर्ट ने अपने आदेश में दो टूक कहा है कि अब किसी तरह की देरी या टालमटोल स्वीकार नहीं की जाएगी। 18 जुलाई 2025 तक यदि सभी अतिक्रमण नहीं हटाए गए, तो यह आदेश केवल चेतावनी नहीं, बल्कि सख्त कानूनी कार्रवाई की भूमिका बनेगा।
विशेष उल्लेख:
- न्यायालय ने कहा कि यदि निर्धारित समय सीमा में सभी अतिक्रमण हटा दिए जाते हैं तो याचिका स्वतः समाप्त मानी जाएगी।
- लेकिन यदि आदेश की अवहेलना होती है तो कलेक्टर को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा।
प्रथम टुडे ब्यूरो, जबलपुर
“सच की बात सब के साथ”

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