जबलपुर के रेलवे स्टेशन, फुटपाथ और भीड़भाड़ वाले इलाकों में सुलोशन का नशा युवाओं को अपराध की ओर धकेल रहा है
प्रथम टुडे जबलपुर।
शहर के कई प्रमुख इलाकों में नाबालिग लड़के-लड़कियां खुलेआम सुलोशन के नशे में डूबे दिखाई देते हैं। रेलवे स्टेशन, शीला टॉकीज का फुटपाथ, हाईकोर्ट दरगाह के आसपास और सिविक सेंटर जैसे व्यस्त स्थान इनकी गतिविधियों का गढ़ बन चुके हैं। स्थिति यह है कि ये बच्चे राहगीरों से पैसे मांगते हैं और न देने पर चोरी-झपटमारी जैसे अपराधों में भी संलिप्त हो जाते हैं।
पैसे की मजबूरी नहीं, नशे की लत है असली कारण
आम तौर पर लोग सोचते हैं कि ये बच्चे भूख या गरीबी के कारण पैसे मांगते हैं, लेकिन हकीकत इससे अलग है। इनका मुख्य उद्देश्य सुलोशन नामक नशा करना होता है। सुलोशन ट्यूब गाड़ियों के पंचर बनाने में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ है। ये बच्चे कपड़े या पन्नी में सुलोशन डालकर उसे सूंघते हैं, जिससे उन्हें नशा मिलता है। नशे की हालत में वे आपराधिक प्रवृत्ति के काम करने से भी नहीं हिचकते।
लड़कियों का गलत इस्तेमाल होने की आशंका
स्थानीय सूत्र बताते हैं कि कुछ असामाजिक तत्व इन नाबालिग लड़कियों का गलत फायदा भी उठा रहे हैं। सिविक सेंटर के अंधेरे कोनों और पार्कों में इन लड़कियों को बहला-फुसलाकर ले जाया जाता है। हालांकि इस पर ठोस कार्रवाई की जरूरत है, लेकिन पुलिस और प्रशासन की ओर से अब तक कोई सख्त कदम सामने नहीं आया है।
पहले हुई थी पहल, अब फिर बढ़ी समस्या
ओमती क्षेत्र में पूर्व थाना प्रभारी एसपी बघेल ने कुछ साल पहले ऐसे बच्चों को पकड़कर सुधारने का प्रयास किया था। कुछ को बाल सुधार गृह भेजा गया और परिवारों को भी जागरूक किया गया था। इसी तरह तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने फुटपाथों पर नशे में पड़े इन बच्चों को देखकर तत्काल अभियान चलाकर शहर से बाहर खदेड़ा था। लेकिन अब हालात फिर बिगड़ रहे हैं।
आज की घटना ने खौफ पैदा किया
रविवार को माल गोदाम चौराहा, रेलवे प्लेटफार्म क्रमांक 6 के सामने एक नाबालिग लड़के ने सुलोशन के नशे में अपने साथी पर कांच की बोतल और डंडे से हमला कर दिया। घायल बच्चा भी नशे में चूर था। आसपास मौजूद लोगों का कहना है कि यह रोज का तमाशा बन चुका है। व्यापारी बताते हैं कि पुलिस भी कई बार इन नाबालिगों को देखकर अनदेखा कर देती है। यह लापरवाही भविष्य में किसी बड़ी घटना को जन्म दे सकती है
कैंसर तक का खतरा डॉ अरविंद जैन
मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. अरविंद जैन का कहना है कि सुलोशन का नशा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
“यह नशा फेफड़ों और सीने में इंफेक्शन पैदा करता है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से अस्थमा, फेफड़ों की बीमारियां और यहां तक कि कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।”
आवश्यक है प्रशासनिक हस्तक्षेप
यह समस्या केवल कानून-व्यवस्था का नहीं बल्कि सामाजिक सुधार का भी मामला है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन नाबालिगों को सुधारने के लिए बाल कल्याण समिति, समाजसेवी संस्थाएं और प्रशासन मिलकर काम करें। पुलिस को भी रोजाना निगरानी बढ़ानी चाहिए और नशे की इस कड़ी को तोड़ने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी।

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