प्रथम टुडे जबलपुर/सीहोर/देवास। भरी बरसात और लगातार हो रही भारी बारिश के बीच देवास जिले की खिवनी सेंचुरी और उससे लगे इच्छावर क्षेत्र में वन विभाग द्वारा किए गए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के तहत आदिवासियों के कच्चे मकान ढहा दिए गए। इस असंवेदनशील कार्रवाई को लेकर पूरे आदिवासी समाज में भारी आक्रोश व्याप्त है।
भारतीय सर्वजनजाति सेना ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए प्रदेश सरकार से इस पर तत्काल संज्ञान लेने की माँग की है। सेना का कहना है कि वन विभाग ने खातेगांव और इच्छावर के आसपास रहने वाले गरीब, असहाय आदिवासियों के आशियानों को ऐसे वक्त में उजाड़ा है जब वे सबसे अधिक प्राकृतिक संकट का सामना कर रहे हैं।
ज्ञापन सौंपते हुए की ये प्रमुख माँगें
संगठन की ओर से ज़िला प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में मांग की गई है कि:
1. जिन आदिवासियों के कच्चे मकान तोड़े गए हैं, उन्हें तत्काल मुआवजा दिया जाए।
2. राज्य सरकार उनकी पुनर्वास की जिम्मेदारी ले और उनके लिए नये मकान बनवाए।
3. जो आदिवासी वर्षों से वहाँ काबिज हैं, उन्हें स्थायी पट्टे दिए जाएं।
4. प्रदेश सरकार जल, जंगल और जमीन के प्राकृतिक हक के तहत आदिवासी समाज की रक्षा सुनिश्चित करे।
सरकार को चेतावनी
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि सरकार द्वारा इस मामले को अनदेखा किया गया तो मध्य प्रदेश भर में आदिवासी समाज जंगी आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
वन विभाग की भूमिका पर उठे सवाल
इस घटना के बाद वन विभाग के रवैये को लेकर अनेक सामाजिक संगठनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि बरसात जैसे कठिन मौसम में किसी भी परिवार को उजाड़ना मानवीयता के खिलाफ है।
ज्ञापन देने के दौरान यह रहे उपस्थित
उमा उइके, शलेशसिंह महासचिव इन्द्र कुलस्ते, राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम यादव, दवेन्द्र साहू प्रदीप पटेल माया चौधरी,एड राजेद्र देवकड
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