प्रथम टुडे जबलपुर। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जबलपुर के ट्रांसपोर्ट नगर और चंडाल भाटा क्षेत्र में चल रही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर बुधवार को अस्थायी विराम लग गया। एक निजी संपत्ति के मालिक द्वारा दायर अर्जेंसी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने संबंधित स्थल पर फिलहाल कार्रवाई न करने के निर्देश दिए हैं।
नगर निगम द्वारा 8 जुलाई को जारी नोटिस में त्रिमूर्ति नगर, चंडाल भाटा स्थित ऐतिहासिक गंगाराम मंसाराम अघोरी बाबा मंदिर परिसर सहित दर्जनों निर्माणों को अतिक्रमण की श्रेणी में रखकर 24 घंटे के भीतर हटाने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि मंदिर के मुख्य गर्भगृह और मूर्तियों वाला हिस्सा अतिक्रमण की परिधि में नहीं आता। केवल पूजा, हवन और भंडारे के लिए बने पीछे के ढांचे को अतिक्रमण बताया गया है।
इस कार्रवाई के विरोध में श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों में असंतोष है। उधर, हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 3 जुलाई को दिए गए आदेश में कहा था कि सिविल कोर्ट में लंबित मामलों को छोड़कर बाकी सभी अतिक्रमण 18 जुलाई तक हर हाल में हटाए जाएं।
एक याचिकाकर्ता को मिली राहत
कार्रवाई की सूचना मिलने के बाद एक भू-स्वामी ने हाईकोर्ट में अर्जेंसी याचिका दाखिल कर दावा किया कि उसका निर्माण सरकारी भूमि पर नहीं बल्कि उसकी निजी संपत्ति पर है। बुधवार दोपहर 2:30 बजे के बाद हुई सुनवाई में अदालत को बताया गया कि यह भूमि प्रेमलता और राकेश कुमार से खरीदी गई है, जो खसरा नंबर 12/44 और 12/45, मौजा गोहलपुर में स्थित है, और इसका कुल क्षेत्रफल 9410 वर्गफुट है।
याचिकाकर्ता के पक्ष में पहले ही सिविल कोर्ट से डिक्री पारित हो चुकी है जिसे कभी चुनौती नहीं दी गई। इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि तहसीलदार की निगरानी में सीमांकन कराया जाए और गुरुवार को सीमांकन रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाए। उसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
कार्रवाई स्थगित, लेकिन केवल एक मामले में
नगर निगम की टीम बुधवार सुबह अघोरी बाबा मंदिर परिसर और अन्य चिन्हित अतिक्रमण स्थलों पर पहुंची थी, लेकिन कोर्ट का निर्देश मिलते ही करीब 10:30 बजे कार्रवाई रोक दी गई। यह राहत केवल एक याचिकाकर्ता तक सीमित है। बाकी सभी चिन्हित अतिक्रमणों पर कार्रवाई पूर्ववत जारी रहेगी।
बढ़ रही है कानूनी जटिलता
यह मामला अब सिर्फ धार्मिक परिसर तक सीमित नहीं रह गया है। ट्रांसपोर्ट नगर के अन्य भू-स्वामी, व्यवसायी और रहवासी भी चिन्तित हैं। कई लोगों का कहना है कि वैध स्वामित्व के बावजूद उनकी संपत्ति को अतिक्रमण घोषित कर दिया गया है, जिससे विवाद और कानूनी पेचिदगियाँ बढ़ती जा रही हैं।

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