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Saturday, July 19, 2025

बरेला शराब दुकान विवाद: वायरल वीडियो ने उठाए आबकारी विभाग पर सवाल

 

 प्रथम टुडे जबलपुर
बरेला क्षेत्र में आबकारी विभाग की कार्रवाई को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और ऑडियो क्लिप्स ने इस मामले को और तूल दे दिया है। सूत्रों के अनुसार, सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे और उनकी टीम द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान दुकान परिसर में गाली-गलौज और मारपीट की घटनाएं सामने आई हैं। इस घटना के बाद शराब ठेकेदारों ने आरोप लगाते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है।

बैठक और विवाद की जड़
सूत्रों का कहना है कि हाल ही में शहर के एक होटल में शराब बिक्री और रेटिंग को लेकर आबकारी अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच बैठक हुई थी। इस बैठक में कथित तौर पर ठेकेदारों पर महंगी शराब बेचने का दबाव बनाने की बात उठी। ठेकेदार पक्ष का कहना है कि वे कलेक्टर रेट से अधिक कीमत पर शराब बेचने से इनकार कर रहे हैं।

कुछ दिन पहले कलेक्टर द्वारा की गई जांच में ओवर-रेटिंग की शिकायतें सही पाई गई थीं, जिसके बाद ठेकेदारों पर जुर्माना भी लगाया गया। अब ठेकेदारों का कहना है कि आबकारी अधिकारी उन्हें 15 रुपये देशी शराब पर, 30 रुपये अंग्रेजी शराब पर और 20 रुपये बियर पर अतिरिक्त दर वसूलने का दबाव डाल रहे हैं।

छापामारी और वायरल वीडियो
गुरुवार को सहायक आबकारी आयुक्त और उनकी टीम ने बरेला स्थित शराब दुकान पर छापामार कार्रवाई की। अधिकारियों का कहना है कि उन्हें मुखबिर से सूचना मिली थी कि शराब अवैध रूप से कहीं और ले जाई जा रही है। इस कार्रवाई के दौरान दुकान स्टाफ और अधिकारियों के बीच विवाद हुआ, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है।

वीडियो में कथित तौर पर अधिकारी दुकान में घुसकर हाथापाई करते देखे जा सकते हैं। ठेकेदार पक्ष ने इस घटना से संबंधित वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग बरेला थाना पुलिस और आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी है।

वसूली और आरोपों का पेंच
सूत्रों का कहना है कि हर महीने आबकारी वसूली के रूप में तय की गई रकम को लेकर भी विवाद हुआ। बरेला समूह के हिस्से की राशि समय पर नहीं दी जाने की बात सामने आ रही है। ठेकेदारों का आरोप है कि इसी विवाद के चलते अधिकारियों ने दबाव बनाने की कोशिश की।

आधिकारिक बयान का इंतजार
इस पूरे विवाद पर जिला प्रशासन और आबकारी विभाग की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि ठेकेदार पक्ष ने स्पष्ट रूप से इसे “दबाव और मनमानी वसूली” की कार्रवाई करार दिया है।

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