[1/6, 09:49] Anurag Dixit:
प्रथम टुडे Rastriy :-- भारत को ऑपरेशन सिंदूर पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने में एक बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली है। 7 मई को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के खिलाफ हुए इस सैन्य अभियान को लेकर पहले जो बयान कोलंबिया सरकार ने जारी किया था, उस पर अब वह पुनर्विचार करने को तैयार हो गई है।
भारत के रुख को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखने के लिए गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की इस कोशिश को अहम सफलता मिली है। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जानकारी दी कि कोलंबिया ने वह बयान वापस लेने पर सहमति जताई है, जिससे पहले भारत को निराशा हुई थी। अब कोलंबिया भारत के समर्थन में एक नया बयान जारी करेगा।
थरूर ने यह बात अपने उस पहले बयान के ठीक अगले दिन कही, जिसमें उन्होंने कोलंबिया के रुख पर असंतोष जताया था।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल भारत के पूर्व राजदूत और भाजपा नेता तरनजीत सिंह संधू ने बताया कि कोलंबिया सरकार को भारत की तरफ से पूरा तथ्यात्मक पक्ष रखा गया। उन्होंने कहा कि कोलंबिया के कार्यवाहक विदेश मंत्री और प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई विस्तृत बातचीत के बाद कोलंबिया अपने पुराने बयान पर पुनर्विचार को तैयार हुआ है।
संधू के अनुसार, पहले जो बयान कोलंबिया ने दिया था, उसमें शायद कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की जानकारी छूट गई थी। बातचीत के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें सही परिप्रेक्ष्य में पूरे मामले की जानकारी दी। कोलंबिया का रुख बदलना इसलिए भी अहम है क्योंकि वह जल्द ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बनने जा रहा है।
कोलंबिया की उप विदेश मंत्री रोसा योलांडा विलाविसेनियों ने भी माना कि उन्हें भारत की तरफ से मिली जानकारी पर्याप्त और स्पष्ट थी। उन्होंने कहा कि अब इस विषय पर आगे और संवाद की गुंजाइश बनी हुई है।
इससे पहले शुक्रवार को शशि थरूर ने कोलंबिया के पहले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने साफ किया था कि आतंक फैलाने वालों और अपनी आत्मरक्षा करने वालों के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती।
थरूर ने कहा कि नई दिल्ली के पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन का हाथ था, जिसमें 26 निर्दोष भारतीय नागरिकों की जान गई थी।
उन्होंने यह भी कहा, “भारत केवल अपने आत्मरक्षा के अधिकार का उपयोग कर रहा है। जैसे कोलंबिया ने अपने देश में आतंकवाद का सामना किया है, उसी तरह भारत भी पिछले चार दशकों से आतंक से लड़ रहा है।”

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