29. 0/3, 08:03] Anurag dixit pratham today
प्रथम टुडे MP:/- मध्य प्रदेश के रीवा जिले में करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। आरोप है कि यहां शराब ठेकेदारों, जिला कार्यालय अधिकारी और बैंक मैनेजर की मिलीभगत से फर्जी बैंक खातों का खुलासा कर इस घटना को अंजाम दिया गया। इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आर्थिक अपराध शाखा ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया कि अपराधी का उल्लघन करके शराब टेकन का कारोबार किया गया था।
रिजर्व बैंक की अनुसूची में शामिल नहीं है15 करोड़ की फर्जी बैंक संस्था
मध्य प्रदेश सरकार की नीति के अनुसार, शराब ठेकेदारों के लिए बैंक किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के व्यावसायिक बैंक/निजी क्षेत्र के व्यावसायिक बैंक या मध्य प्रदेश के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से जारी किया जा सकता है। लेकिन इस मामले में जिला सहयोगी सेंट्रल बैंक द्वारा जारी बैंक महासभा को स्वीकार कर लिया गया है जो भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा बेंचमार्क बैंक की सूची में भी शामिल नहीं है।
28 जून, 2023 को एडवोकेट बीके मंगल ने आईओडब्ल्यू में एक शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया था कि शराब फैक्ट्री के खिलाफ़ फ़ायरिंग बैंक के आधार पर लाइसेंस दिया गया है। ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच शुरू कर दी है और पता चला है कि जिला सहयोगी बैंक शाखा मोरबा (सिंगरौली) के प्रमुख प्रभारी शाखा प्रबंधक नागेंद्र सिंह ने 14 फर्जी बैंक शाखा की स्थापना की थी। जो 15 करोड़ 32 लाख 23 हजार 440 रुपए की कीमत है। इन 14 फ़र्ज़ी बैंक गारंटियों में से 9 बैंक मेधावी शराब व्यवसायियों को दिया गया। उन्होंने रीवा, सिंगरौली, उमरिया और गैर-सरकारी रेस्तरां में अल्कोहल थेक का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
[बैंक संस्था से हो गई थी शराब ठेकेदारों की दुकान
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