जबलपुर, 13 नवंबर | प्रथम टुडे रिपोर्ट
शहर को स्मार्ट बनाने की दिशा में लगाए गए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सीसीटीवी कैमरे अब करीब एक से डेढ़ साल से बंद पड़े हैं। कभी यही कैमरे अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की “तीसरी आंख” साबित होते थे, लेकिन अब यह सिस्टम पूरी तरह निष्क्रिय हो चुका है।
अपराध नियंत्रण में निभाई थी अहम भूमिका
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत नगर के प्रमुख चौराहों और ट्रैफिक पॉइंट्स पर हाई-क्वालिटी कैमरे लगाए गए थे।
इन कैमरों ने न सिर्फ ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर नज़र रखी, बल्कि कई गंभीर अपराधों के खुलासे में भी पुलिस की बड़ी मदद की थी।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, कई चोरी, दुर्घटना और मारपीट के मामलों में इन्हीं कैमरों की फुटेज से आरोपी पकड़े गए थे।
अब क्यों ठप हो गया सिस्टम
सूत्रों के अनुसार, जिस निजी कंपनी को यह प्रोजेक्ट संचालित करने का ठेका दिया गया था, उसने वित्तीय नुकसान का हवाला देते हुए काम बंद कर दिया।
उसके बाद से कैमरों का रखरखाव नहीं हुआ, और धीरे-धीरे सभी सिस्टम बंद होते गए।
स्मार्ट सिटी प्रशासन ने नया टेंडर जारी किया है, परंतु अब तक किसी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है।
स्मार्ट सिटी अधिकारी ने बताया,
“कैमरों की मेंटेनेंस और सर्वर संचालन की लागत बहुत अधिक थी। अब नई व्यवस्था के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि सिस्टम दोबारा शुरू हो सके।”
ट्रैफिक मॉनिटरिंग पर असर
इन कैमरों से जुड़ी ऑटोमेटिक चालान व्यवस्था भी ठप पड़ी है।
पहले जिन वाहनों का चालान कैमरा से होता था, अब वह व्यवस्था बंद है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि कुछ ट्रैफिक सिग्नल कैमरे और पुलिस कंट्रोल रूम कैमरे भी तकनीकी कारणों से बंद हैं, जिससे निगरानी प्रभावित हुई है।
सुरक्षा दृष्टि से चिंता, पर घबराहट नहीं
हाल ही में दिल्ली में हुई घटना के बाद जबलपुर जैसे बड़े शहरों में सुरक्षा-निगरानी प्रणाली का सक्रिय रहना बेहद जरूरी माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि “सुरक्षा सिस्टम का मजबूत होना नागरिकों की सुरक्षा का हिस्सा है, लेकिन इसका अर्थ भय फैलाना नहीं, बल्कि जागरूकता बढ़ाना होना चाहिए।”
जनता की उम्मीद
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जिन कैमरों की वजह से सड़क पर अनुशासन और सुरक्षा बनी रहती थी, उन्हें जल्द दुरुस्त किया जाना चाहिए।
शहर के व्यापारिक इलाकों, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के आस-पास कैमरों की सक्रियता बहाल होने से अपराध-निरोधक तंत्र और मज़बूत होगा।
निष्कर्ष
स्मार्ट सिटी योजना का उद्देश्य सिर्फ डिजिटल बोर्ड और सजावट नहीं, बल्कि एक सुरक्षित और व्यवस्थित शहर बनाना था।
अगर जबलपुर की “तीसरी आंख” फिर से खुलती है, तो यह शहर के हर नागरिक के लिए राहत की बात होगी।

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