क्राइम ब्रांच और पाटन पुलिस की संयुक्त कार्रवाई, छतरपुर से किया गया गिरफ्तार
प्रथम टुडे जबलपुर।
मध्यप्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत किसानों से खरीदी गई धान की हेराफेरी कर करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने वाले मुख्य आरोपी दिलीप किरार को पुलिस ने आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। 74 हजार रुपये के इनामी इस आरोपी की तलाश कई महीनों से की जा रही थी। क्राइम ब्रांच और थाना पाटन की संयुक्त टीम ने छतरपुर से दबिश देकर दिलीप किरार को पकड़ा।
दिलीप किरार, मध्यप्रदेश सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन (MPSCSC) में प्रभारी जिला प्रबंधक के पद पर पदस्थ था और उसी हैसियत से उसने घोटाले को अंजाम दिया। उसके खिलाफ जबलपुर जिले के पाटन, कुण्डम, सिहोरा, मझगवां, मझोली, कटंगी, गोसलपुर, भेड़ाघाट, पनागर, बेलखेड़ा, बरेला और गोराबाजार थानों में धोखाधड़ी के प्रकरण दर्ज हैं।
क्या है पूरा मामला?
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन को धान उपार्जन की जिम्मेदारी दी गई थी। इस धान को राइस मिलरों से मिलिंग करवाकर उपभोक्ताओं को चावल के रूप में वितरित किया जाना था। लेकिन जांच में सामने आया कि कुछ मिलर्स ने धान को जबलपुर जिले के बाहर ले जाकर स्थानीय दलालों को बेच दिया और कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर शासन को चूना लगाया।
इस पूरे मामले की जांच के लिए कलेक्टर जबलपुर द्वारा चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई जिसमें अपर कलेक्टर नाथूराम गौड़, संयुक्त कलेक्टर ऋषभ जैन व शिवाली सिंह तथा सहायक आपूर्ति अधिकारी संजय खरे शामिल थे।
जांच में खुलासा हुआ कि सिर्फ पाटन क्षेत्र में ही लगभग 21129 क्विंटल धान, जिसकी कीमत करीब 4 करोड़ 85 लाख 96 हजार रुपये है, का घोटाला हुआ। इस घोटाले में सरकारी दस्तावेजों में कूट रचना, झूठी ट्रांसपोर्ट प्रविष्टियां, और अवैध बिक्री के आरोप सामने आए हैं।
18 आरोपियों के खिलाफ FIR, अब तक 4 गिरफ्तार
मामले में अब तक कुल 18 लोगों को आरोपी बनाया गया है जिनमें एमपी सिविल सप्लाइज के अधिकारी-कर्मचारी, मिलर्स और सहकारी समिति के कर्मचारी शामिल हैं। दर्ज FIR में धाराएं 61(2), 338, 336(3), 340(2), 318(4), 316(2), 316(4) BNS व आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 जोड़ी गई हैं।
अब तक गिरफ्तार किए गए आरोपियों में गंधर्व सिंह, पंकज प्रधान, संतोष कुमार शुक्ला और अब मुख्य आरोपी दिलीप किरार शामिल हैं। शेष फरार आरोपियों की तलाश लगातार जारी है, जिन पर 10-10 हजार रुपये का इनाम घोषित है।
यह मुख्य आरोपी कैसे हुआ गिरफ्तार
मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर जबलपुर क्राइम ब्रांच और थाना पाटन की संयुक्त टीम ने छतरपुर में दबिश दी और दिलीप किरार को सराफा खटीक मोहल्ला से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी को जबलपुर लाकर माननीय न्यायालय में पेश किया गया जहां से उसे पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा गया है।
क्राइम ब्रांच और थाने सहरानीय कार्यवाही
इस बड़ी सफलता के पीछे थाना प्रभारी पाटन गोपेन्द्र सिंह राजपूत, अपराध शाखा प्रभारी शैलेष मिश्रा, क्राइम ब्रांच के सहायक उप निरीक्षक संतोष पांडे, आरक्षक आशुतोष बघेल, जयप्रकाश, साइबर सेल के एएसआई कपूर सिंह, प्रधान आरक्षक अमित पटेल, और आरक्षक जितेन्द्र राउत, अरविंद सूर्यवंशी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
चौकी प्रभारी विपिन तिवारी के समन्वय से टीम ने सटीक सूचना पर कार्यवाही की। पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री संपत उपाध्याय के निर्देश पर गठित टीम ने यह सफलता हासिल की
कई लोग शामिल थे इस घोटाले में
पुलिस जांच में स्पष्ट हुआ है कि यह घोटाला किसी अकेले व्यक्ति द्वारा नहीं बल्कि एक संगठित गिरोह द्वारा रचा गया था जिसमें सरकारी अधिकारी, मिलर्स और सहकारी समिति के कर्मचारी तक शामिल थे। सभी ने मिलकर न केवल शासकीय योजनाओं में सेंध लगाई बल्कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी प्रभावित किया।
शेष फरार आरोपी भी जल्द होंगे गिरफ्तार
पुलिस अब शेष फरार आरोपियों की गिरफ्तारी पर जोर दे रही है और आशंका जताई जा रही है कि इस घोटाले की परतें अभी और खुल सकती हैं। साथ ही कई और जिलों में भी इसी तरह के मामलों की जांच की संभावना बन रही है।
करोड़ों रुपए की घोटाले की खामियां सामने आई थी सामने
इस पूरे घटनाक्रम ने शासन की खाद्य आपूर्ति प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर किया है। करोड़ों की सरकारी राशि और गरीबों को मिलने वाले अनाज के दुरुपयोग ने यह साबित कर दिया है कि यदि निगरानी तंत्र मजबूत न हो तो सरकारी योजनाएं भी संगठित भ्रष्टाचार का शिकार हो सकती हैं।
No comments:
Post a Comment