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Saturday, July 26, 2025

मूनलाइट कैफे में पुलिस की दबिश: पर्दे की आड़ में देह व्यापार का खुलासा, संचालक गिरफ्तार



 प्रथम टुडे जबलपुर। 

आधारताल थाना क्षेत्र में संचालित मूनलाइट कैफे पर शनिवार देर शाम पुलिस ने छापा मारकर एक कथित देह व्यापार के अड्डे का पर्दाफाश किया। पुलिस को यहां बने छोटे-छोटे केबिनों में युवक-युवतियां आपत्तिजनक अवस्था में मिले। थाना प्रभारी प्रवीण कुमार कुमरे के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई के दौरान पुलिस ने कैफे संचालक को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया।

छापे की कार्रवाई एक महिला पत्रकार की शिकायत के बाद की गई, जिसने आरोप लगाया था कि रिपोर्टिंग के बहाने उसे कैफे में बुलाकर उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया गया। यह मामला पुलिस के संज्ञान में आने के बाद मूनलाइट कैफे की गतिविधियों की निगरानी की गई, और जब पर्याप्त प्रमाण मिले, तब जाकर कार्रवाई की गई।

कैफे की केबिन व्यवस्था बनी अपराध की सुरक्षित पनाहगाह

पुलिस जांच में सामने आया कि कैफे में बने केबिन पूरी तरह से बंद थे और उनके भीतर पर्दे लगाए गए थे। इतना ही नहीं, इन पर्दों को इस प्रकार की चिपकने वाली स्ट्रिप से जोड़ा गया था जिससे बाहर से कुछ भी नजर नहीं आता था। यह संरचना पूरी तरह से नियमों के खिलाफ थी।

नगर निगम से लाइसेंस प्राप्त यह कैफे, नियमों के अनुसार पारदर्शी या हाफ ग्लास केबिन रखने का बाध्य था। किसी भी परिस्थिति में पर्दे लगाने या गोपनीयता की ऐसी व्यवस्था करने की अनुमति नहीं दी जाती। इसके बावजूद कैफे में पूर्ण गोपनीयता के साथ आपत्तिजनक गतिविधियां संचालित हो रही थीं।

दुष्कर्म की शिकायत से पूरे नेटवर्क का खुलासा

सूत्रों के अनुसार, महिला  से हुई घटना के बाद जब मामला थाने पहुंचा तो पुलिस ने गंभीरता से लेते हुए छानबीन शुरू की। कैफे के भीतर की गतिविधियों को गुप्त रूप से रिकॉर्ड किया गया और पुष्टि होने के बाद दबिश दी गई। छापे के दौरान कुछ युवक-युवतियों को मौके से हिरासत में लिया गया और उनकी पूछताछ की जा रही है।

नगर निगम की भूमिका पर सवाल

इस मामले के सामने आने के बाद नगर निगम की भूमिका भी कटघरे में आ गई है। सवाल यह उठ रहा है कि जब लाइसेंस जारी किए जाते हैं, तो क्या कभी निरीक्षण किया जाता है कि नियमों का पालन हो भी रहा है या नहीं?

कैफे के लाइसेंस की शर्तों में स्पष्ट है कि केबिन पारदर्शी होने चाहिए और किसी भी तरह की निजी गोपनीयता की अनुमति नहीं है। लेकिन इसके बावजूद लंबे समय से कैफे संचालन में नियमों की खुलेआम अवहेलना हो रही थी।

पहले भी उजागर हो चुके हैं ऐसे मामले

यह पहला मौका नहीं है जब जबलपुर में किसी कैफे की आड़ में अनैतिक गतिविधियां सामने आई हैं। वर्ष 2020 में विजयनगर थाना क्षेत्र के एक कैफे में नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म का मामला प्रकाश में आया था। उस मामले में भी शुरुआत में तो जांच हुई लेकिन समय के साथ उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

अब कार्रवाई से उम्मीदें, निगरानी की मांग

पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद शहर में संचालित अन्य कैफे और रेस्टोरेंट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जहां युवाओं को केबिन की सुविधा देकर पूर्ण गोपनीयता दी जाती है। आमजन का कहना है कि नगर निगम और जिला प्रशासन को इन सभी कैफे की लाइसेंसिंग प्रक्रिया की पुन: समीक्षा करनी चाहिए और संयुक्त निरीक्षण अभियान चलाया जाना चाहिए।

प्रशासन से अपेक्षा: बनें सख्त दिशा-निर्देश

शहरवासियों का कहना है कि यदि अब भी प्रशासन नहीं चेता तो यह घटनाएं और अधिक बढ़ सकती हैं। खासकर युवतियों की सुरक्षा को देखते हुए ऐसे स्थानों पर कड़ा नियंत्रण आवश्यक है।

पुलिस की पहल सराहनीय, लेकिन स्थायी निगरानी जरूरी

आधारताल पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई ने यह सिद्ध किया है कि यदि शिकायतकर्ता आगे आकर बात कहे और प्रशासन सजग हो तो अपराध पर नियंत्रण संभव है। मगर यह तभी तक प्रभावी होगा जब इन गतिविधियों पर निरंतर निगरानी और जवाबदेही तय हो

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