मध्यप्रदेश पुलिस का चौंकाने वाला मामला, जांच में खुली पोल
प्रथम टुडे भोपाल/विदिशा – मध्यप्रदेश पुलिस विभाग में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां विदिशा निवासी एक आरक्षक ने 12 वर्षों तक ड्यूटी किए बिना ₹28 लाख से अधिक वेतन उठा लिया। मामला तब उजागर हुआ जब 2023 में 2011 बैच के वेतन ग्रेड की समीक्षा की जा रही थी।
जानकारी के अनुसार, यह सिपाही 2011 में भर्ती हुआ था और उसे भोपाल पुलिस लाइन में पदस्थ किया गया था। यहां से उसे सागर ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया, लेकिन वह न तो ट्रेनिंग में पहुंचा, और न ही किसी को सूचना दी। उल्टे उसने अपनी सर्विस फाइल स्पीड पोस्ट से भोपाल भिजवा दी, जिसे बिना किसी जांच के स्वीकार कर लिया गया।
12 वर्षों तक न उपस्थिति, न जांच
ना तो ट्रेनिंग सेंटर ने उसकी अनुपस्थिति की रिपोर्ट भेजी, और ना ही भोपाल पुलिस लाइन में किसी अधिकारी ने उसकी गैरहाज़िरी पर गौर किया। इसी लापरवाही के चलते वह लगातार वेतन लेता रहा, जबकि उसने कोई ड्यूटी ही नहीं की।
मानसिक बीमारी का बहाना
जब 2023 में मामला सामने आया, तो जांच के दौरान उसे तलब किया गया। पूछताछ में उसने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला दिया और कुछ मेडिकल दस्तावेज भी प्रस्तुत किए।
एसीपी को सौंपी गई जांच
मामले की जांच की जिम्मेदारी टीटी नगर की एसीपी अंकिता खाटरकर को दी गई है। उन्होंने बताया कि सिपाही ने अकेले ट्रेनिंग पर जाने की अनुमति ली थी, लेकिन कभी लौटा ही नहीं। रिकॉर्ड में उसकी उपस्थिति भी नहीं दर्ज हुई, जिससे विभागीय प्रणाली की खामियां उजागर हो गईं।
अब होगी वसूली और सख्त कार्रवाई
फिलहाल सिपाही को भोपाल पुलिस लाइन में रखा गया है, जहां से अब तक ₹1.5 लाख की वसूली की जा चुकी है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि शेष राशि उसकी आने वाली सैलरी से काटी जाएगी।
पुलिस विभाग का कहना है कि इस गंभीर लापरवाही में जो भी अधिकारी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ भी कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी

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