[3/6, 09:45] Anurag Dixit:
प्रथम टुडे जबलपुर :-- जबलपुर में बालकों की लापरवाही से बड़ा हादसा टला, एक्टिवा से बुज़ुर्ग महिला को टक्कर, खुद ट्रैक्टर के नीचे आने से बाल-बाल बचे दोनों बच्चे
कल शाम जबलपुर के हनुमानताल थाना अंतर्गत सिंधी कैंप, सिद्ध बाबा रोड पर उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब दो नाबालिग बच्चों ने एक्टिवा से तेज़ रफ्तार में नगर निगम के पानी के टैंकर को ओवरटेक करने की कोशिश में एक बुजुर्ग महिला को टक्कर मार दी और खुद टैंकर के नीचे आने से बाल-बाल बच गए।
घटना शाम 5:00 बजे के करीब की है जब नगर निगम का टैंकर पानी सप्लाई के लिए सिंधी कैंप क्षेत्र में दाखिल हो रहा था। उसी समय MP20 ZJ 6933 नंबर की एक्टिवा पर सवार दो बच्चे – आशु चौधरी (13 वर्ष) और आर्यन चौधरी (12 वर्ष) – रफ्तार में टैंकर को ओवरटेक करने की कोशिश कर रहे थे। ओवरटेक के दौरान इन बच्चों ने एक बुज़ुर्ग महिला को टक्कर मार दी, जो टैंकर के पिछले पहिए के नीचे आने से चमत्कारिक रूप से बच गईं।
टैंकर चालक की सूझबूझ से, बच गई बच्चों की जान
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक्टिवा फिसलते ही बच्चे सीधे टैंकर के सामने आ गिरे। टैंकर चालक ने तत्काल ब्रेक लगाया, लेकिन तब तक एक चक्का बच्चों के ऊपर से निकल चुका था। गनीमत यह रही कि बच्चों को गंभीर चोटें नहीं आईं, सिर्फ मामूली खरोंच और सदमे के कारण उन्हें स्थानीय लोगों ने पास के अस्पताल में भर्ती कराया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
अभिभावाक नहीं दे रहे ध्यान
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि नाबालिग बच्चों को दोपहिया या चारपहिया वाहन क्यों दिए जा रहे हैं?
13 और 12 साल के बच्चे, जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस तो दूर, ट्रैफिक के प्रति समझ भी अधूरी है — उन्हें वाहन देना अभिभावकों की सबसे बड़ी गैरजिम्मेदारी है।
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माता-पिता को चाहिए कि वाहन देने से पहले सोचें कि क्या वे अपने बच्चे को सड़क पर मौत का जोखिम दे रहे हैं?
ऐसे मामलों में सिर्फ चालान काटना या समझाइश देना काफी नहीं होगा। प्रशासन को चाहिए कि वाहन नंबर के आधार पर पता लगाकर वाहन मालिकों (माता-पिता) पर कड़ी दंडात्मक कार्यवाही की जाए। यह न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा के लिए, बल्कि सड़कों पर चल रहे हर नागरिक की जान की रक्षा के लिए ज़रूरी है।
कानून क्या कहता है?
भारतीय मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 199A के अनुसार, यदि कोई नाबालिग वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है और वह दुर्घटना करता है, तो उसके माता-पिता या अभिभावक, और वाहन का मालिक भी अपराधी माना जाएगा।
इसमें जुर्माने के साथ-साथ 3 साल तक की सज़ा और वाहन का निलंबन तक हो सकता है।
बच्चे अगर सड़क पर तेज़ रफ्तार में हैं, तो गलती सिर्फ उनकी नहीं — उनके पीछे खड़े माता-पिता की भी है। प्यार करना गलत नहीं, लेकिन बिना जिम्मेदारी के दिया गया भरोसा जानलेवा हो सकता है।
आज इस घटना में किसी की जान नहीं गई, लेकिन अगली बार इतनी किस्मत साथ देगी, इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता।
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