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Sunday, June 29, 2025

बरसात में मौत की! शहर भर में खतरा बने जर्जर भवन दे रहे हादसे को निमंत्रण , प्रशासन बना मूकदर्शक

जब दुर्घटनाएं होती हैं तब नगर निगम और जिला प्रशासन की पूरी व्यवस्था पुलिस प्रशासन की होती है लेकिन पुलिस के हाथ भी जिम्मेदार होते हैं, 


प्रथम नवीनतम विशेष रिपोर्ट | ज़ब्त

बारिश शुरू हो गई है ही जबलपुर शहर में ज्वालामुखी के गिरने का संकट फिर एक बार सिर चढ़ गया है। हर साल बारिश के दौरान ऐसी कई घटनाएं सामने आती हैं, जिनमें जान-माल की भारी क्षति होती है। इसके बावजूद नगर निगम और जिला प्रशासन की तालाबंदी है।

केवल 'नोटिस थमाओ' अभियान तक सीमित निगम प्रशासन लिमिटेड
को लेकर नगर निगम की कार्रवाई को सीमित निगम तक सीमित किया गया है। जब कोई दुर्घटना होती है, तब प्रशासन में असुरक्षा दिखाई देती है और वैधानिकता को नोटिस थमाकर अपनी जिम्मेदारी पूर्ण मान लेता है। इसके बाद एसोसिएशन पर फिर कोई निगरानी नहीं रहती कि भवन मालिक ने कोई सुधार कार्य नहीं किया या नहीं।

 हनुमानताल में ढहा था खंडहर भवन, गनीमत रही कि कोई कैजुअल नहीं,
ऐसा ही वाकया शनिवार को हनुमानताल क्षेत्र में सामने आया, जहां एक खंडहर मकान देख-देखते भरभरा कर ढह गया। सौभाग्य से मकान के आसपास की जनजाति के लोग थे, लेकिन किसी प्रकार की जान-माल की क्षति नहीं हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई दिनों से इस मकान की स्थिति के बारे में नगर निगम को भी जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद भवन को गिराने की कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि यदि ये मकान कुछ मजबूत किले का निर्माण करता है, लेकिन ऊपर से विनाश दिखाई देता है, और यदि उस पर भू-माफियाओं की नजर पड़ती है, तो निगम संस्थागत गिरा देता है - जैसा कि कई अन्य उदाहरणों में देखा गया है।

मुख्य बाजार और स्ट्रीट बायां रिस्क का केंद्र
शहर के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र - फवारा चौक, कमांडिया गेट, घोड़ा नक्कास, अंधेर देव, निवाडगंज और गोरखपुर क्षेत्र जैसे कई भवन अत्यंत अभावग्रस्त स्थिति में हैं। ये भवन सिर्फ वहां रहने वालों के लिए खतरा नहीं है, बल्कि सड़क से उठने वाले मजदूरों के लिए भी जानलेवा बन गए हैं। यह वे मार्ग हैं जहां पर्व-त्योहारों पर बड़े-बड़े कलाकार खोए हुए हैं, और हजारों लोग संगति के आसपास रेस्तरां कार्यक्रम का हिस्सा हैं।

भू-माफियाओं की संगत, किरायेदारों की जबरन
एक लिस्टिंग यह भी है कि कई भवन जिनमें "जर्जर" घोषित किए गए हैं, वे वास्तव में स्वामित्व के रूप में मजबूत हैं, लेकिन रंग-रोगन न होने के कारण खोए हुए हैं। ऐसे मामलों में भू-माफिया और कुछ अधिकारियों के पुस्तकालय से भवन दिए गए हैं ताकि रहने वाले पुराने किरायेदारों को बाहर जा सकें। इसके बाद भवन की दस्तावेज़ी सूची में नए किरायेदारों को किराये पर दे दिया जाता है।

कानून के अभाव में भी लाचार
पुलिस विभाग की ओर से भवन को समय-समय पर समझाया जाता है, लेकिन उनके पास इस विषय में कोई ठोस कानूनी अधिकार नहीं है, जिससे वे भवन गिराने का निर्देश दे सकें। नतीजा ये होता है कि जब तक कोई बड़ी दुर्घटना ना हो, तब तक सपने ही रह जाते हैं।

उद्योगपति :
जब तकनगर निगम के संबंधित अधिकारियों से बात करने की कोशिश नहीं की गई, तब तक निगम के संबंधित अधिकारी ने फोन तक बात नहीं की कई बार कॉल करने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

जनजीवन पर खतरनाक खतरा बना हुआ जिला, ठोस कदम जरूरी
नगर निगम और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण यह स्थिति- दिन-प्रतिदिन खतरनाक हो रही है। अगर समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले दिनों में कोई बड़ा हादसा होना लगभग तय है।
शहरवासियों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि गरीबों की जांच, सूचीकरण, और कार्यकर्ता कार्रवाई एक सामुदायिक शिक्षा योजना के तहत हो - न कि केवल नोटिस थमाने की खाना सामग्री।


पहली बार 'प्रथम दिनांक' की अपील

हर नागरिक रुकें, और यदि आपके आसपास कोई खंडहर भवन है तो इसकी सूचना नगर निगम या प्रशासन को दें। प्रशासन से मांग है कि सार्वजनिक स्थान पर स्थित हर गरीब भवन की समीक्षा करें, वहां सुरक्षा बैरिकेड और चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं। शहर की सुरक्षा से जुड़ा यह विषय वैयदों में नहीं, एक जरूरी विशिष्टता शामिल होनी चाहिए

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