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Wednesday, June 11, 2025

सरेआम यातायात नियमों की उड़ रही धज्जियां, रैली के रूप में नाबालिग लड़कों की खतरनाक हरकतें

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 घमापुर से तहसील चौक तक 30 से ज्यादा वाहनों की रैली, सड़कों पर दिखा नियमों का उल्लंघन



 प्रथम टुडे जबलपुर --  रैलियों की आड़ में यातायात नियमों को ताक पर रखना अब आम होता जा रहा है, चाहे वह राजनीतिक हो या धार्मिक आयोजन। कुछ ऐसा ही नजारा आज घमापुर चौक से तहसील चौक तक देखने को मिला, जहां करीब 30 से 35 गाड़ियों की रैली में शामिल नाबालिग लड़के सरेआम ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आए।

गाड़ियों में बाकायदा नंबर प्लेट लगे हुए थे — जिन पर P1, P2, P23 जैसे विशेष चिन्ह अंकित थे — जिससे साफ जाहिर था कि ये किसी विशेष आयोजन या रैली का हिस्सा थीं। इन वाहनों में सवार नाबालिग लड़के कार की खिड़कियों से लटकते नजर आए। कुछ लड़के तो लटकते हुए वीडियो भी बना रहे थे, जो बेहद खतरनाक स्थिति उत्पन्न कर रहे थे।

आमजन हुए परेशान, जाम की स्थिति बनी

यह मार्ग शहर का सबसे व्यस्त मार्ग है, ऐसे में रैली के चलते यातायात प्रभावित हुआ। लोग परेशान होते रहे और पीछे लंबा जाम लग गया। आश्चर्यजनक रूप से, राह चलते लोग भी इन लड़कों को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा सके। जो एक-दो नागरिकों ने साहस कर टोका, उन्हें भी बदले में अभद्र भाषा सुननी पड़ी।

 पुलिस प्रशासन भी बना मूकदर्शक

ऐसे मामलों में अक्सर पुलिस प्रशासन हस्तक्षेप करने से कतराता है। जब सामूहिक रूप से लोग रैली में शामिल होते हैं और पुलिस उन्हें रोकती है, तो स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है। कई बार नारेबाजी और घेराव तक की नौबत आ जाती है। इसी कारणवश, पुलिस भी मजबूरी में मूकदर्शक बनी रहती है। लेकिन अगर गाड़ियों के नंबरों के आधार पर मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, तो शायद ऐसी घटनाओं पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।

 आयोजकों की जिम्मेदारी भी जरूरी

इस तरह की रैलियों के आयोजकों को चाहिए कि वे प्रतिभागियों को यातायात नियमों का पालन करवाएं। सड़क पर चलने वाले हर नागरिक की सुरक्षा आयोजकों की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। जब कोई दुर्घटना होती है तो लोग प्रशासन को दोष देते हैं, लेकिन अगर पहले ही नियमों का पालन हो, तो ऐसे हादसों से बचा जा सकता है।

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