Update [16/5, 22:36] Anurag Dixit:pratham today
प्रथम टुडे जबलपुर :-- रूस और यूक्रेन की जंग में इंसानियत की एक छोटी सी उम्मीद जगी है. दोनों देशों ने 1000-1000 सैनिकों की अदला-बदली पर सहमति जताई है. यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इसे शांति की दिशा में एक जरूरी कदम बताया है. वहीं अमेरिका और यूरोपीय देशों के नेताओं के साथ हुई बातचीत में रूस पर दबाव बनाए रखने की बात भी कही गई. सवाल है कि क्या यह युद्ध अब किसी हल की ओर बढ़ रहा है? यूक्रेन के प्रतिनिधियों ने बताया कि रूस के साथ कैदियों की रिहाई को लेकर सहमति बन गई है. 1000 यूक्रेनी सैनिकों के बदले 1000 रूसी सैनिक छोड़े जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है और इस दिशा में बातचीत जारी है. जल्द ही रिहाई की तारीख भी घोषित की जाएगी.
[जेलेंस्की ने की बड़े नेताओं से बातचीत
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने टेलीग्राम पर जानकारी दी कि उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क से फोन पर बातचीत की है. यह बातचीत इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता के तुरंत बाद हुई. इसमें कैदियों की रिहाई के अलावा कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाई.
अब और खून नहीं बहने देना है, रूस माने वरना बढ़ेंगी सख्तीयूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने युद्ध रोकने के लिए दुनिया से एकजुट रहने की अपील की है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों, जर्मन चांसलर मर्ज़, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टारमर और पोलैंड के प्रधानमंत्री टस्क से फोन पर बातचीत की. यह बातचीत इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता के बाद हुई.
जेलेंस्की ने कहा:
यूक्रेन पूरी ईमानदारी से शांति चाहता है और इसके लिए हर जरूरी कदम उठाने को तैयार है. हम चाहते हैं कि यह जंग जल्द से जल्द खत्म हो. लेकिन अगर रूस बिना शर्त सीज़फायर (युद्धविराम) और हत्याएं बंद करने से इनकार करता है, तो उस पर और भी कड़े प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा:
दुनिया को एकजुट होकर रूस पर दबाव बनाए रखना होगा, जब तक कि वह इस विनाशकारी युद्ध को पूरी तरह खत्म करने को तैयार न हो जाए.
क्या शांति की दिशा में यह पहला कदम?
इस रिहाई को शांति की दिशा में पहला मजबूत कदम माना जा रहा है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह कदम स्थायी समाधान की ओर बढ़ाएगा या फिर सिर्फ एक अस्थायी राहत है. लेकिन यह साफ है कि युद्ध से थके लोगों को अब इंसानियत की उम्मीद दिख रही है.

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