Update [29/4, 05:45] Anurag Dixit: pratham today
प्रथम टुडे जबलप - सिहोरा क्षेत्र में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जहां एक बेकरी की दुकान से महज 165 रुपए के रसगुल्ले और पान मसाले की चोरी पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी। यह मामला इसलिए चर्चा में है क्योंकि भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) के अनुसार 5000 रुपए से कम मूल्य की चोरी पर एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। इसके बावजूद, इस मामूली चोरी में एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने न केवल कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन किया, बल्कि एक गंभीर सवाल भी खडा कर दिया कि क्या कानून के रखवालों को ही कानून की जानकारी नहीं है?
आईआर दर्ज करने का कानूनी प्रावधान - भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 303(2) के अनुसार, अगर चोरी की गई संपत्ति की कीमत 5000 रुपए से कम है, तो ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं होती। इसके बदले, संबंधित व्यक्ति को अदालत के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करने का अधिकार है। इस संदर्भ में, कानून के मुताबिक पुलिस को इस प्रकार की मामूली चोरी में एफआईआर दर्ज करने से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी, लेकिन यहां पर पुलिस ने बिना इस कानूनी प्रावधान का पालन किए सीधे एफआईआर दर्ज की और मामले की जांच शुरु कर दी।
क्या है मामला, सिहोरा के दो युवक आशीष ठाकुर और संचित वर्मा, महिला की बेकरी की दुकान पर पहुंचे थे। दुकान के मालिक के बेटे, आयुष विश्वकर्मा के मुताबिक, संचित वर्मा दुकान के बाहर खड़ा हुआ और आशीष ठाकुर काउंटर के पास खड़ा होकर हल्दीराम कंपनी के रसगुल्लों का डिब्बा (जिसकी कीमत 125 रुपए थी) चुपचाप निकालकर अपनी जेब में रख लिया। इसके बाद आशीष ठाकुर ने दुकान के काउंटर पर खटखटाया और 20-20 रुपए के दो पान मसाले (राजश्री) पैकेट मांगे। आयुष ने उन पैकेटों को दिया और आशीष से पैसों की बात की, तो आशीष ने फोन पे के माध्यम से पैसे देने की बात कही। लेकिन जब आयुष ने बाद में फोन पे चेक किया तो पैसे जमा नहीं हुए थे। इस प्रकार यह दोनों युवक दुकान से कुल 165 रुपए का माल चोरी कर भाग गए।
सीसीटीवी पर हुआ खुलासा - इस चोरी का खुलासा तब हुआ जब दुकान के मालिक ने सीसीटीवी फुटेज चेक की। फुटेज में स्पष्ट रूप से आशीष ठाकुर को रसगुल्ला डिब्बा अपनी जेब में डालते हुए और संचित वर्मा को दुकान के बाहर खड़ा हुआ देखा जा सकता है। इसके बाद, 26 अप्रैल 2025 को महिला फरियादिया ने पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाई। इसके बावजूद पुलिस ने बिना भारतीय न्याय संहिता की धारा 303 (2) का पालन किए, सीधे एफआईआर दर्ज कर ली और मामले की विवेचना शुरु कर दी। जिससे यह साफ समझ में आता है कि थाने में तैनात पुलिसकर्मियों को खुद कानून का ज्ञान नहीं है। इस मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि थाना प्रभारी को इस बाबत सचना दी कि 5 हजार रुपये से क जाईआर दर्ज नहीं की जा उन्होंने किन परिस्थितियों में यह एफआईआर दर्ज की है इसकी जांच की जाएगी।
कानून विदों का कहना - कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि 5000 रुपये से कम की चोरी में एफआईआर दर्ज करने का कोई औचित्य नहीं है। भारतीय न्याय संहिता के अनुसार, जब चोरी की गई वस्तु का मूल्य मामूली होता है, तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करने से पहले मजिस्ट्रेट की अनुमति प्राप्त करनी होती है इस मामले में यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई और पुलिस ने सीधे कार्रवाई शुरु कर दी, जो कि एक कानूनी उल्लंघन है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठते हैं और यह भी दिखाता है कि पुलिस जहां बड़े-बड़े मामलों में फरियादियों को FIR के लिए भटकाती रहती है, वहीं अपनी मनमर्जी से इतनी छोटी चोरी में भी एफआईआर दर्ज कर देती है।
इसके पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामलेय - य ह पहला मामला नहीं है जब छोटे अपराधों पर एफआईआर दर्ज करने को लेकर कानूनी विवाद उत्पन्न हुआ हो। हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने जेबराज @ जयराज बनाम तमिलनाडु राज्य मामले में यह माना कि 5000 रुपए से कम मूल्य की चोरी के मामलों में शिकायत दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है। इस मामले में, अदालत ने भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) की धारा 303 (2) के तहत एफआईआर दर्ज किए जाने को अवैध करार दिया और कहा कि इस तरह के मामूली अपराधों में मजिस्ट्रेट की अनुमति अनिवार्य है, जो इस मामले में पूरी नहीं की गई थी।
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