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प्रथम टुडे जबलपुर ;-- महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में अचानक बालों के झड़ने या तीव्र शुरुआत वाले एलोपीशिया टोटलिस ( के मामलों ने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी हैं. यह समस्या पंजाब और हरियाणा से आने वाले गेहूं में हाई सेलेनियम सामग्री से जुड़ी हुई है, जैसा कि पद्म श्री पुरस्कार विजेता विशेषज्ञ डॉ. हिम्मत राव बावस्कर की रिपोर्ट में बताया गया है. इन घटनाओं ने 279 व्यक्तियों को प्रभावित किया है, जो 18 गांवों में पाए गए हैं.
इन मामलों के कारण प्रभावित व्यक्तियों, जिनमें कई कॉलेज के छात्र और युवा लड़कियां शामिल हैं, जिन्हें महत्वपूर्ण सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. शिक्षा में बाधा और व्यवस्थित विवाह जैसी समस्याएं उनके जीवन को प्रभावित कर रही हैं. एलोपीशिया के चारों ओर सामाजिक कलंक के कारण कुछ व्यक्तियों ने शर्मिंदगी से बचने के लिए अपने सिर के बाल भी कटवा लिए.
बालों के झड़ने लक्षण और कारण
डॉ. बावस्कर ने कहा, प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने और नमूने एकत्रित करने के बाद पाया कि मुख्य रूप से युवा महिलाओं में सिरदर्द, बुखार, खोपड़ी में खुजली, झुनझुनी, और कुछ मामलों में उल्टी और दस्त जैसे लक्षण थे. उन्होंने बताया कि गेहूं जो पंजाब और हरियाणा से आया है, उसमें स्थानीय उत्पादित गेहूं की तुलना में सेलेनियम की मात्रा काफी अधिक है.
सेलेनियम का स्वास्थ्य पर असर
विशेषज्ञ ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र के गेहूं में सेलेनियम की मात्रा स्थानीय किस्म की तुलना में 600 गुना अधिक थी. यह उच्च सेलेनियम सेवन एलोपीशिया मामलों का मुख्य कारण माना जा रहा है. लक्षणों की शुरुआत के तीन से चार दिन के भीतर पूर्ण गंजापन विकसित हो गया.
शरीर में सेलेनियम की मात्रा
जांच में यह भी पाया गया कि प्रभावित व्यक्तियों के रक्त, मूत्र, और बालों में सेलेनियम स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी. डॉ. बावस्कर ने कहा, रक्त, मूत्र, और बालों के नमूनों में 35 गुना, 60 गुना, और 150 गुना वृद्धि देखी गई. यह सुझाव देता है कि अत्यधिक सेलेनियम सेवन प्रकोप का प्रत्यक्ष कारण है.
आगे की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि गेहूं में सेलेनियम की मात्रा बाहरी संदूषण का परिणाम नहीं थी, बल्कि यह अनाज में अंतर्निहित थी. विशेषज्ञ ने बताया कि पंजाब और हरियाणा का गेहूं उच्च सेलेनियम बायोउपलब्धता के लिए जाना जाता है. इससे यह स्पष्ट होता है कि इस समस्या के समाधान के लिए आगे की कार्रवाई की आवश्यकता है.
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