ममता कुलकर्णी को अब यामाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा - Pratham Today, Sach Ki Baat SabKe Saath

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Friday, January 24, 2025

ममता कुलकर्णी को अब यामाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा

                                                                                                       प्रथम 


      प्रथम टुडे जबलपुर  :--। फिल्मों में अपनी।        बेहतरीन एक्टिंग और लुक से फैंस का दिल जीतने वाली 90 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ 2025 में मोह माया का त्याग करते हुए संता धर्म की राह चुनी है। ममता कुलकर्णी को आज किन्नर अखाड़ा ने दीक्षा देकर महामंडलेश्वर बना दिया और उनका नया नाम श्री यामाई ममता नंद गिरि घोषित किया गया। शाम को किन्नर अखाड़े में ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक हुआ। इस मौके पर ममता ने पहले खुद का और अपने परिवार का संगम में पिंडदान किया।

पट्टाभिषेक में भावुक हुईं ममता कुलकर्णी

पट्टाभिषेक में ममता कुलकर्णी को पूरे रीति रिवाज के साथ कर्मकाण्ड कराया गया फिर का उनका अभिषेक करके उन्हें महामंडलेश्वर घोषित किया गया। पट्टाभिषेक के दौरान ममता भावुक हो गई थीं। साध्वी बनने और महामंडलेश्वर का पद मिलने के बाद उन्होंने अपना अनुभव साझा किया, ममता कुलकर्णी ने बताया कि वो 23 साल से फिल्मी दुनिया से दूर रहकर धार्मिक यात्रा पर थी और एक दिन उन्हें अध्यात्म की शक्ति की अनुभूति महसूस हुई। उसके बाद उन्होंने सनातन धर्म के मार्ग पर चलने का मन बना लिया।

ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड वापसी पर तोड़ी चुप्पी

श्री यामाई ममता नंद गिरि ने आगे यह भी साफ किया कि उन्हें 23 सालों में कोई ऐसी परेशानी नहीं हुई कि, जिससे वो साध्वी बन गई बल्कि उनकी आस्था उन्हें सनातन की ओर खींच ले आयी है। इस मौके पर ममता ने ये भी बता दिया की अब बॉलीवुड में उनकी कभी वापसी नही होंगी बल्कि वो धर्म के रास्ते पर ही आगे बढ़ेंगी। ममता ने इस दौरान कई सवालों का भी जवाब दिया।

महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता का पहला लुक

ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की ये पदवी किन्नर अखाड़े ने दी है जो साल 2015 में बनाया गया था। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच उनका सिंदूर और हल्दी से तिलक किया गया। ममता को दूध से स्नान कराया गया।

 *महामंडलेश्वर बनने पर साधु संतों में छड़ी बहस*- वही इस पूरे मामले में एक नई चीज भी सामने आई है जिसमें ममता कुलकर्णी को इतनी जल्दी महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई है। साधु संतों में बहस चढ़ गई है उनका कहना है कि इसके लिए बहुत तप की आवश्यकता होती है। कुछ साधु संतों का कहना है कि बहुत जल्दी मेरे निर्णय लिया गया है क्योंकि महामंडलेश्वर बनने के लिए एक कड़ी परीक्षा भी देनी होती है। लेकिन बाकी अखाड़े ने इस चीज को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है।

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