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प्रथम टुडे स्व. पं. नरेश बाजपेई जिनकी पुण्यतिथि पर आज उनका परिवार इसको जन सेवा दिवस के रूप में मना रहा है। निश्चित ही पंडित नरेश बाजपेई जिन्होंने अपने पूरे जीवन काल में हमेशा सिर्फ जन सेवा ही अपना उद्देश्य रखा और जिसमें वह पूरी तरह सफल भी रहे। एक अच्छे जनप्रतिनिधि के रूप में जहां वे जाने जाते थे तो वहीं वह एक एक अच्छे लेखक, पत्रकार भी थे । जनप्रतिनिधि के रूप में वे नगर निगम में एमआईसी सदस्य थे तो वहीं वे पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी रहे। नरेश बाजपेई जी हमेशा चेहरा करते थे कि अगर अच्छी जन सेवा करना है ,तो राजनीति में आना जरूरी है जिसका कारण भी बहुत सरल अंदाज में बताया करते जब आप राजनीति से जुड़े होंगे तो निश्चित ही लोग आपके पास अपनी समस्या लेकर आएंगे। वे हमेशा कहा करते थे आपके पास अगर कोई किसी कार्य के लिए आता है तो उसको यह उम्मीद होती है कि यह कार्य आप उसका कर देंगे । *उन्हीं पदचिन्हों पर चल रहे उनके पुत्र*- यहां यह भी बताना जरूरी है की हर पिता अपने पुत्र को विरासत में कुछ ना कुछ देकर जाता है। यह भी बताना जरूरी है कि पुत्र भी चाहता है कि वह अपने पिता की विरासत को संभाल कर रखे और उसे और आगे बढ़ाएं। इस काम को बखूबी अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए उनके जेष्ठ पुत्र पं. अतुल वाजपेई भी बखूबी निभा रहे हैं। अतुल बाजपेई जी ने अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए एक अच्छे लेखक के साथ एक अच्छे पत्रकार और अच्छे जनप्रतिनिधि साबित हो रहे हैं। जिसे भी जिसे वे अपने पिता के द्वारा स्थापित दैनिक सांध्य बंधु के माध्यम से पत्रकारिता, एक अच्छे जनप्रतिनिधि के माध्यम से राजनीति से जुड़कर जन सेवा का कार्य भी पूरी तन्मयता से कर रहे हैं। अपने पिता की तरह भी दूसरों के बारे में सोचना और हमेशा लोगों की मदद के लिए आगे आना इन्होंने अपना उद्देश्य बना लिया है। स्व ,नरेश वाजपेई को सत सत नमन विनम्र श्रद्धांजलि
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