शाहजहांपुर की अनोखी प्रेमकहानी: माँ गई थी बेटी के लिए वर देखने, खुद बन बैठी वधू
[5/6, 13:18] Anurag Dixit: ---
ये कलयुग नहीं, "फुल एडवांस कलयुग" चल रहा है साहब! अलीगढ़ के बाद अब शाहजहांपुर में भी एक ऐसा किस्सा सामने आया है, जिसने समाज के रिश्तों की परिभाषा ही पलट दी है।
यहां एक 45 वर्षीय विधवा माँ अपनी जवान बेटी के लिए योग्य वर की तलाश में निकली थीं। मगर नियति ने ऐसा पत्ता फेरा कि माँ को ही बेटी का दूल्हा भा गया! अब भई, दिल है कि किसी की सुनता नहीं – उम्र, नाता, मर्यादा सब पीछे छूट गई, और माँ ने बेटी के मंगेतर से ही शादी रचा ली।
सबसे बड़ा ट्विस्ट तो तब आया, जब बेटी ने भी इस "माँग में सिन्दूर" को दिल से कुबूल कर लिया। अपनी माँ की खुशी के लिए उसने खुद का मंगेतर सौंप दिया और अब उसे सौतेले पिता के नाम से बुला रही है। मान गए तेरी सोच को, बिटिया रानी!
गाँव वाले सकते में हैं — कोई इसे रिश्तों की तौहीन कह रहा है, तो कोई महिला की आज़ादी और हिम्मत का झंडा बुलंद कर रहा है। मगर एक बात तय है — ये घटना न सिर्फ चौपालों की चर्चा बन गई है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी वायरल तूफान बन चुकी है।
अब सवाल ये है कि आगे और कौन-कौन से रिश्ते अपने "रेडिफाइन" होने की कतार में हैं? क्या अब बेटा भी बाप के लिए बहु खोजते-खोजते खुद ही उसका दूल्हा बन बैठेगा? कौन जाने, कल को दादी अपने नाती के दोस्त को अपना हमसफ़र बना ले! कलयुग की घड़ी है भाई, सुई किसी भी दिशा में घूम सकती है!
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