मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सड़क किनारे रुककर चाय पी, बोले दुकानदार – "सपने में भी नहीं सोचा था" - Pratham Today, Sach Ki Baat SabKe Saath -->

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Tuesday, June 17, 2025

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सड़क किनारे रुककर चाय पी, बोले दुकानदार – "सपने में भी नहीं सोचा था"

 

 प्रथम टुडे जबलपुर 
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का जबलपुर दौरा रविवार को कई मायनों में यादगार रहा। एक ओर उन्होंने बेलखेड़ा में राज्य स्तरीय लाड़ली बहना एवं महिला सम्मेलन में हजारों बहनों को संबोधित किया, वहीं वापसी के दौरान उन्होंने जनसामान्य से जुड़ने का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जिसने सभी का दिल जीत लिया।

सम्मेलन के पश्चात जब वे सड़क मार्ग से डुमना विमानतल की ओर लौट रहे थे, तभी अंधमूक चौराहा स्थित शंकर चाट भंडार पर अचानक रुककर उन्होंने चाय की चुस्कियां लीं। मुख्यमंत्री के साथ जबलपुर सांसद आशीष दुबे, विधायक अशोक रोहाणी, भाजपा जिलाध्यक्ष (ग्रामीण) राजकुमार पटेल, नगर भाजपा अध्यक्ष रत्नेश सोनकर एवं भाजपा नेता अखिलेश जैन भी मौजूद थे।

दुकानदार ब्रजेश को नहीं हुआ यकीन, बोले – यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा दिन

चाय की दुकान के संचालक ब्रजेश लोधी ने बताया कि उन्हें सपने में भी यह उम्मीद नहीं थी कि कभी प्रदेश के मुख्यमंत्री उनकी दुकान पर आकर चाय पीएंगे। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री जी बहुत सहज और सरल हैं। उन्होंने मुझसे मेरे परिवार, दुकान और जीवन के बारे में आत्मीयता से बातचीत की। चाय पीने के बाद खुद पैसे भी दिए। यह मेरे जीवन का सबसे अविस्मरणीय क्षण है।"

मुख्यमंत्री ने सामान्य नागरिक की तरह की बातचीत

इस दौरान मुख्यमंत्री ने बिना किसी औपचारिकता के ब्रजेश लोधी से उनकी दुकानदारी, आय-व्यय, परिवार और अन्य विषयों पर सामान्य बातचीत की। यह दृश्य देखकर आसपास मौजूद लोग भी चकित रह गए। मुख्यमंत्री के इस सहज व्यवहार की सभी ने सराहना की।

स्थानीय लोगों में उत्साह, लिया सेल्फी का मौका

मुख्यमंत्री को यूं अचानक अपने बीच देखकर वहां मौजूद नागरिकों में भारी उत्साह था। कई लोगों ने उनके साथ तस्वीरें और सेल्फी लीं। मुख्यमंत्री ने भी सभी को मुस्कुराते हुए आत्मीयता से अभिवादन किया। यह पूरी घटना सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है।

जनता से सीधे जुड़ने का जमीनी अंदाज़

डॉ. मोहन यादव का यह व्यवहार प्रदेश के मुखिया के उस चेहरे को सामने लाता है जो सिर्फ मंचों पर नहीं, बल्कि जनता के बीच रहकर, उनकी जमीन पर खड़े होकर उनसे जुड़ने में विश्वास रखता है। यह वही नेतृत्व है जो चाय की एक साधारण दुकान पर बैठकर चाय की चुस्कियों के साथ आम आदमी के मन को जानने का प्रयास करता है।


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