[5/6, 08:38] Anurag Dixit:
प्रथम टुडेजबलपुर:-- नगर निगम जबलपुर द्वारा मानसून पूर्व शहर के जलस्तर को बनाए रखने और पर्यावरण संतुलन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को फिर से अनिवार्य रूप से लागू करने की तैयारी की जा रही है। महापौर जगत बहादुर सिंह ‘अन्नू’ ने इस दिशा में सख्ती दिखाते हुए संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि शासकीय और अशासकीय भवनों, अपार्टमेंट्स, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और सरकारी कार्यालयों में अनिवार्य रूप से वर्षा जल संग्रहण प्रणाली लगाई जाए।
पहले जो लगे थे उन्हीं को ठीक करवाते तो बच जाता पैसा
हालांकि, इस कवायद पर सवाल भी उठने लगे हैं, क्योंकि नगर निगम पहले भी करोड़ों रुपये खर्च कर विभिन्न जोन कार्यालयों और शासकीय भवनों में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवा चुका है, लेकिन अधिकांश सिस्टम अब बेकार पड़े हैं। रखरखाव और नियमित मेंटेनेंस के अभाव में ये सिस्टम कुछ ही वर्षों में खराब हो गए। सूत्रों के अनुसार, इन पुराने सिस्टम को स्क्रैप में बेचने तक की नौबत आ गई है, जिससे यह सवाल उठना लाजमी है कि फिर से करोड़ों रुपये खर्च करने का औचित्य क्या है?
रखरखाव पर ध्यान न देने से करोड़ों रुपए चले गए पानी में
नगर निगम की लापरवाही और संबंधित विभागों की उदासीनता के चलते पहले लगाए गए वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कभी भी अपने उद्देश्यों पर खरे नहीं उतर पाए। मेंटेनेंस के नाम पर हर साल लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन वास्तव में जमीन पर कुछ भी नहीं किया गया। अब फिर से वही प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जिससे नागरिकों के मन में यह आशंका बनी हुई है कि क्या यह नई योजना भी महज़ एक ठेका वितरण योजना बनकर रह जाएगी?
महापौरने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए,अधिकारियों को दिए निर्देश
इस सबके बीच महापौर अन्नू ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लागू करने के लिए एक सख्त कानून का मसौदा तैयार किया जाए, ताकि आगामी समय में निर्माण स्वीकृति व उपयोग प्रमाण पत्र के लिए यह सिस्टम अनिवार्य हो सके। साथ ही नागरिकों की सुविधा के लिए 10 एजेंसियों की सूची जारी कर उन्हें सिस्टम स्थापित करने हेतु अधिकृत किया जाएगा।
इस संबंध में हुई बैठक में अपर आयुक्त वी.एन. बाजपेयी, कार्यपालन यंत्री शैलेन्द्र कौरव, सहायक यंत्री मनीष तड़से और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। महापौर ने मानसून के पहले चरण में ही कार्य पूर्ण करने के निर्देश भी दिए।
अब देखना यह होगा कि पहले की तरह यह योजना लागू होगी और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर ध्यान दिया जाएगा, ठेकों में ही सिमट कर न रह जाए, या वास्तव में शहर की जलसंरक्षण व्यवस्था को मजबूती मिले। जनता उम्मीद कर रही है कि इस बार पारदर्शिता और गुणवत्ता दोनों पर ध्यान दिया जाएगा, ताकि करोड़ों की सार्वजनिक धनराशि फिर से व्यर्थ न हो
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