कट्टरपंथियों के नारे, जत्थेदार ने नहीं दिया परंपरागत संदेश
प्रथम टुडे अमृतसर :--- ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर परिसर में शुक्रवार को बड़ा हंगामा देखने को मिला। कट्टरपंथी सिख संगठनों के समर्थकों ने अकाल तख्त के पास खालिस्तान समर्थक नारे लगाए, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। हालात को देखते हुए 40 वर्षों से चली आ रही वार्षिक परंपरा को तोड़ते हुए, अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज ने इस बार परंपरागत संदेश मंच से नहीं दिया।
सिख रीति अनुसार ‘अरदास’ के दौरान जत्थेदार ने सीमित रूप में समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि यह पवित्र स्थान (अकाल तख्त और स्वर्ण मंदिर) कभी भी अशांति का केंद्र नहीं बनना चाहिए। वहीं, दल खालसा, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) और अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भिंडरावाले के पोस्टर और खालिस्तान झंडों के साथ जमकर नारेबाजी की।
इस अवसर पर आयोजित 'शहीदी समागम' में ‘बंदी सिंहों’ की रिहाई के लिए संगठनों से एकजुट होने की अपील की गई। ‘बंदी सिंह’ उन सिख कैदियों को कहा जाता है जो अपनी सजा पूरी करने के बाद भी जेल में हैं।
हर वर्ष अकाल तख्त के जत्थेदार द्वारा जून 1984 में मारे गए सिख नेताओं के परिजनों को सम्मानित किया जाता है, लेकिन इस बार यह जिम्मेदारी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने निभाई। SGPC द्वारा दमदमी टकसाल, निहंग संप्रदाय और सिंह सभाओं के सहयोग से गुरमत समागम और अखंड पाठ साहिब का आयोजन किया गया।
जत्थेदार गर्गज ने मीडिया से बातचीत में बटाला में “धर्मयुद्ध” के नाम पर चल रहे धर्मांतरण विरोधी कार्यक्रमों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पंजाब की भूमि पर नफरत के बीज नहीं बोए जाने चाहिए। उन्होंने शांतिपूर्ण आयोजन के लिए सभी सिख संगठनों का आभार व्यक्त किया और खालसा पंथ की एकता, शक्ति और सद्भाव के लिए प्रार्थना की।
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